विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर चौमूं क्षेत्र में “वंदे गंगा जल संरक्षण महाअभियान” का भव्य शुभारंभ हुआ। इस खास अभियान की शुरुआत चौमूं की हाडौता वन रेंज से हुई, जहां एक जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह अभियान जल और पर्यावरण संरक्षण को समर्पित रहेगा।
विश्व पर्यावरण दिवस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लोगों में जल संरक्षण, पौधारोपण और पर्यावरणीय संतुलन के प्रति जागरूकता फैलाना था। इस अवसर पर चौमूं विधायक डॉ. शिखा मील बराला, उपखंड अधिकारी (SDM) दिलीप सिंह राठौड़, वन विभाग के रेंजर अधिकारी और अन्य स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे।

सामूहिक भागीदारी का संदेश
विश्व पर्यावरण दिवस इस अभियान के तहत विभिन्न विभागों ने मिलकर कार्यक्रम आयोजित किए, जिसमें वन विभाग, नगर पालिका, शिक्षा विभाग और सामाजिक संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। सभी विभागों ने पर्यावरण से जुड़े संदेशों को आम लोगों तक पहुँचाने के लिए रैलियों, नुक्कड़ नाटकों, संगोष्ठियों और पौधारोपण कार्यक्रमों की योजना बनाई है।
विधायक डॉ. शिखा मील बराला ने अपने संबोधन में कहा,
विश्व पर्यावरण दिवसजल और जंगल हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। अगर हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित भविष्य देना है, तो हमें जल और पर्यावरण संरक्षण को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाना होगा।
उन्होंने क्षेत्र के लोगों से अपील की कि वे जलस्रोतों की रक्षा करें, जल की बर्बादी को रोकें, और अधिक से अधिक पेड़ लगाकर प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखें।

जल संरक्षण की दिशा में उठाए गए कदम
इस अभियान के तहत, क्षेत्र के विभिन्न जलस्रोतों की सफाई, नालों की मरम्मत, और वर्षाजल संग्रहण (रेन वॉटर हार्वेस्टिंग) जैसे ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। वन विभाग ग्राम स्तर पर जल संरचनाओं की स्थिति का सर्वेक्षण कर रहा है ताकि तुरंत कार्रवाई की जा सके।
एसडीएम दिलीप सिंह राठौड़ ने कहा कि
“सरकार की मंशा है कि हर नागरिक इस अभियान से जुड़े और जल संरक्षण को एक आंदोलन का रूप दिया जाए। प्रशासन अभियान के दौरान नियमित रूप से मॉनिटरिंग करेगा।”

पौधारोपण और हरियाली बढ़ाने की अपील
कार्यक्रम में मौजूद अधिकारियों ने सभी से आग्रह किया कि वे अपने घरों, खेतों, स्कूलों और दफ्तरों में पेड़-पौधे जरूर लगाएं। उन्होंने बताया कि अगर हर व्यक्ति एक पेड़ लगाए और उसकी देखभाल करे, तो यह छोटा सा कदम भी बड़े बदलाव का कारण बन सकता है।
इस अवसर पर वन रेंजर अधिकारी ने 1000 से ज्यादा पौधे बांटे, जिन्हें क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर रोपित किया जाएगा। इनमें नीम, बबूल, अमलतास, और गुलमोहर जैसी स्थानीय प्रजातियों को प्राथमिकता दी गई है।

📢 स्कूलों और युवाओं की भूमिका
कार्यक्रम में क्षेत्र के स्कूलों के छात्रों ने भी उत्साह से भाग लिया। उन्होंने हाथ में जल और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े स्लोगन की तख्तियाँ लेकर रैली निकाली और “जल है तो कल है” जैसे नारों से कार्यक्रम स्थल को गूंजायमान कर दिया।
शिक्षकों और युवाओं ने भी शपथ ली कि वे इस अभियान को सफल बनाने में पूरी कोशिश करेंगे।

स्थानीय लोगों का समर्थन
स्थानीय समाजसेवी संगठनों, महिला मंडलों और किसान समितियों ने इस अभियान को अपना समर्थन दिया है। कई गांवों में ग्रामीणों ने खुद ही पहल करते हुए सार्वजनिक कुएं, तालाब और नालों की सफाई शुरू कर दी है। महिलाएं अब घरों में वर्षा जल संचयन प्रणाली अपनाने के लिए प्रेरित हो रही हैं।
ग्रामीण राजकुमार सैनी ने कहा, >
“पहले हम पानी की कमी से जूझते थे, लेकिन अब हमें यह समझ में आ गया है कि जल बचाना हमारी जिम्मेदारी है। हम अपने गांव में 20 जून तक 100 पौधे लगाने का लक्ष्य रखेंगे।”
वंदे गंगा जल संरक्षण महाअभियान”
20 जून तक चलेगा। इस दौरान सभी सरकारी विभाग मिलकर जन-जागरूकता कार्यक्रम, प्रशिक्षण सत्र, प्रतियोगिताएं, और पोस्टर/स्लोगन लेखन जैसी गतिविधियाँ आयोजित करेंगे। इस मुहिम के तहत सरकार की ‘कैच द रेन’, ‘जल जीवन मिशन’, और ‘हरित राजस्थान’ जैसी पहलों को भी एक साथ लाया गया है, ताकि हमारे प्रयासों में एकरूपता बनी रहे।
